चित्रगुप्त पूजा । Chitragupta puja
सनातन धर्म में भगवान चित्रगुप्त की पूजा का अपना अलग महत्व होता है। यह तो हम सभी जानते है की इंसान को उसके कर्मो के हिसाब से ही स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। काफी लोगो के मन में यह सवाल रहता है की कर्मो का लेखा जोखा आखिर रखता कौन है तो हम आपको बता दें की संसार के सभी इंसान और जीव जन्तुओ के कर्मो का लेखा जोखा भगवान चित्रगुप्त अपने पास रखते है। मृत्यु के बाद भगवान चित्रगुप्त ही इंसान के कर्मो को देख कर निर्णय लेते है की इंसान को स्वर्ग में जाना है या नर्क में।
भगवान चित्रगुप्त पूजा
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। चित्रगुप्त पूजा के लिए सबसे पहले फ्रेश होने के बाद स्नान करके साफ कपड़ें लें। उसके बाद पूजा घर में एक चौकी पर साफ कपडा बिछा कर रख लें। कपड़ें के ऊपर भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या फोटो को रख लें। चौकी पर पुस्तक और कलम भी रख लें क्योंकि इस दिन कलम और पुस्तक की भी पूजा की जाती है।
भगवान की फोटो के सामने दीपक और धूप बत्ती जला दें। उसके बाद भगवान चित्रगुप्त का अभिषेक करने के बाद फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। उसके बाद एक सफ़ेद कागज लेकर उसमे सबसे ऊपर ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः लिखें। उसके बाद उस कागज में दिनाँक, पूजा का समय लिख दें।
फिर उसके बाद उस कागज में आप अपनी आमदनी और खर्चे के बारे में लिख लें। उसके बाद कागज को मोड़ कर भगवान के चरणों में रख दें। फिर भगवान चित्रगुप्त की आरती करें, आरती समाप्त होने के बाद दोनों हाथ जोड़कर भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करें।