हमारे हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को हर साल भाद्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हमारे वेद पुराणों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है, कहते हैं की इस दिन श्री कृष्ण ने कंस के कारागार में जन्म लिया था। इसके उपरांत उनके पिता वासुदेवजी ने उन्हें रातों रात नंद गाँव पहुंचा दिया था, जहाँ अगले दिन उनके जन्म का उत्सव मनाया गया था।
इसी तर्ज पर भाद्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्री कृष्ण की जन्माष्टमी और उसके अगले दिन श्री कृष्ण के जन्मोत्सव मनाया जाता है। इन दोनों ही दिन प्रभु श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जताई है। इन दोनों ही दिन सभी भक्त श्री कृष्ण की भक्ति में रमे होते हैं। कहते हैं की इस दौरान पूजा के साथ अगर उनके मंत्र का पाठ भी किया जाए तो यह बड़ा शुभ होता है।
जन्माष्टमी मंत्र हिंदी में । Janmashtami mantra in Hindi
1). कृं कृष्णाय नम: ॥
2). श्रीकृष्णाय वयं नुम:
सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।।
जन्माष्टमी मंत्र का विवरण :
इस मंत्र के जाप से पूर्व आपको श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इसके बाद ही आप उनके इन मंत्रों का जाप करें। बताया गए मंत्रों में पहले मंत्र को भगवान श्री कृष्ण का मूल मंत्र भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है की यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण को बेहद ही प्रिय है और जो भी इसका जाप पूर्ण भक्ति भाव से करता है, उसपर उनकी कृपा जरूर पड़ती है।
दूसरा मंत्र श्री कृष्ण के महा मंत्र के रूप में जाना जाता है। जहाँ पहला मंत्र आपको इस संसार की सभी सुख-सुविधाएं, धन-धान्य का लाभ प्रदान करता है वहीं श्री कृष्ण के महा मंत्र की भी अपनी एक विशेषता है। ऐसा कहा जाता है की जो भी सच्ची श्रद्धा से श्री कृष्ण के महा मंत्र का जाप करता है उसे अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।