जगन्नाथ अष्टकम । Jagannath Ashtakam

जगन्नाथ अष्टकम । Jagannath Ashtakam

भगवान जगन्नाथ की यात्रा के बारे में सभी इंसान अच्छी तरह से जानते है। हर साल लाखो श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की यात्रा में शामिल होने के लिए पूरी में पहुँचते है। ऐसा माना जाता है की भगवान जगन्नाथ की यात्रा में शामिल होने से भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन कुछ इंसान जगन्नाथ यात्रा में शामिल नहीं हो पाते है, ऐसे इंसान घर पर ही भगवान जगन्नाथ की पूजा करते है।

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घर पर भगवान जगन्नाथ की कृपा पाने के लिए जगन्नाथ अष्टकम बहुत ज्यादा लाभकारी होता है। नियमित रूप से जगन्नाथ अष्टकम का पाठ करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होने के साथ साथ धन और वैभव बढ़ता है। पुराणों की माने तो जगन्नाथ अष्टकम की रचना गुरु शंकराचार्य ने की थी। चलिए अब हम आपको जगन्नाथ अष्टकम के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है।

कदाचि त्कालिन्दी तटविपिनसङ्गीतकपरो
मुदा गोपीनारी वदनकमलास्वादमधुपः
रमाशम्भुब्रह्मा मरपतिगणेशार्चितपदो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिंछं कटितटे
दुकूलं नेत्रान्ते सहचर कटाक्षं विदधते
सदा श्रीमद्बृन्दा वनवसतिलीलापरिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

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महाम्भोधेस्तीरे कनकरुचिरे नीलशिखरे
वसन्प्रासादान्त -स्सहजबलभद्रेण बलिना
सुभद्रामध्यस्थ स्सकलसुरसेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

कथापारावारा स्सजलजलदश्रेणिरुचिरो
रमावाणीसौम स्सुरदमलपद्मोद्भवमुखैः
सुरेन्द्रै राराध्यः श्रुतिगणशिखागीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

रथारूढो गच्छ न्पथि मिलङतभूदेवपटलैः
स्तुतिप्रादुर्भावं प्रतिपद मुपाकर्ण्य सदयः
दयासिन्धु र्भानु स्सकलजगता सिन्धुसुतया
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

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परब्रह्मापीडः कुवलयदलोत्फुल्लनयनो
निवासी नीलाद्रौ निहितचरणोनन्तशिरसि
रसानन्दो राधा सरसवपुरालिङ्गनसुखो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

न वै प्रार्थ्यं राज्यं न च कनकितां भोगविभवं
न याचे2 हं रम्यां निखिलजनकाम्यां वरवधूं
सदा काले काले प्रमथपतिना चीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

हर त्वं संसारं द्रुततर मसारं सुरपते
हर त्वं पापानां वितति मपरां यादवपते
अहो दीनानाथं निहित मचलं निश्चितपदं
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥

जगन्नाथ अष्टकम पढ़ने का तरीका
जगन्नाथ अष्टकम को पढ़ने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ सुथरे कपड़ें पहन लें। फिर पूजा घर में एक साफ आसन बिछा कर बैठ जाएं। अपने सामने एक चौकी पर साफ कपडा बिछा कर कपड़ें के ऊपर भगवान जगन्नाथ के परिवार की फोटो या मूर्ति को रख लें। उसके बाद भगवान जगन्नाथ की फोटो या मूर्ति के सामने दीपक और धूप बत्ती जला दें।

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भगवान जगन्नाथ का अभिषेक करने के बाद उन्हें पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें। फिर भगवान जगन्नाथ की आरती करें। आरती के बाद ऊपर बताए गए जगन्नाथ अष्टकम का पाठ 108 बार करें। पाठ समाप्त होने के बाद भगवान जगन्नाथ से अपनी मनोकामना जल्द पूर्ण होने की कामना करें। नियमित रूप से इस अष्टकम का पाठ करने से जल्द जीवन सुखमय बनता है।

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