सूर्य श्लोक | Surya sloka in Hindi
यह ब्रह्माण्ड रचनाशील है। इसमें हमेशा सृजन होता रहता है। इसी के तहत हमारी पृथ्वी का भी सृजन हुआ है और इस पर निवास करने वाले असंख्य जीव जंतु का भी। मनुष्य भी इसी रचनाशीलता का अद्भुत भाग है परन्तु मनुष्य बाकी के सभी जीव से बिलकुल अलग है। वह सृजन करना तो जानता ही है लेकिन कभी-कभी सुषुप्त अवस्था में भी चला जाता है और अपनी रचनात्मकता खो देता है।
सूर्य श्लोक
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ आदित्याय नमः
इसलिए हमारे हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में इससे उबरने के लिए मंत्र दिए गए है। इस मंत्र का अर्थ इस प्रकार है – सूर्य की उद्दीपन शक्ति को प्रणाम, प्रशंसनीय को प्रणाम, अदिति-सुत को प्रणाम। इन मंत्रो का जाप रोज सुबह स्न्नान करके पवित्र तरीके से करना चाहिए। इसका जाप ग्यारह बार करना चाहिए। इसका संबंध सूर्य देव से है।
इसलिए इसे सूर्योदय के समय ही करें। सूर्य देव इस संसार के महत्पूर्ण ऊर्जा के स्रोत है। वो सभी को सामान ऊर्जा प्रदान करते है। सूर्य देवता मनुष्य को जागृत करते है और क्रियाशील बनाते है। यह मंत्र पूर्ण रूप से उदित सूरज का प्रतिनिधित्त्व करता है। जिसके प्रकाश में सारे कार्यकलाप होते है। जीवनदायनी शक्ति की प्राप्ति हेतु भगवान भास्कर को प्रणाम किया जाता है। इससे ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
सूर्य देवता विश्व की शक्तियों का प्रमुख स्त्रोत है। मनुष्य जीवन तथा उर्जा के इस स्त्रोत के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते है। प्रतिदिन इस मंत्र के उच्चारण से मनुष्य अपने जीवन के सुषुप्त अवस्था को जागृत कर सकता है और रचनात्मक शक्ति प्राप्त कर सकता है। इससे वह अपने जीवन में ज्यादा कार्यशील बन सकता है।