हमारे हिन्दू धर्म में ऐसा कहा जाता है की केवल हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं जो आज भी इस पृथ्वी पर मौजूद हैं, हिमालय के जंगलों में उन्होंने शरण ली है और जो भी सच्चे मन से उन्हें इस मंत्र के जाप के साथ पुकारते हैं उन्हें वो दर्शन जरूर देते हैं। अगर उनके भक्त कभी भी किसी मुसीबत में हों तो वो उनकी मदद करने के लिए जरूर आते हैं।
आप शायद ही यकीन करेंगे लेकिन कई जगहों पर इस बात के प्रणाम मिले हैं जो यह साबित करते हैं हनुमान जी अभी भी इस पृथ्वी पर उपस्थित हैं। इस धरती के कई जगहों पर हनुमान जी के पदचिन्ह देखने को मिलते हैं। श्रीलंका में एक ऐसा समुदाय है जो इस आधुनिक दुनिया से खुद को बिलकुल दूर रखता है और हिन्दू धर्म में बताई गयी पूजा विधि के अनुसार हनुमान जी का आह्वान करता है।
कालतंतु कारेचरन्ति मंत्र हिंदी में । Kaaltantu Kaarecharanti Mantra in Hindi
कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु,निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु।
कालतंतु कारेचरन्ति मंत्र का विवरण :
हनुमान जी का यह मंत्र तभी कारगर साबित होता है जब आप इसे पूरी श्रद्धा भाव से और सच्चे मन से करें, तथा जिस दिन भी आप इस मंत्र का जाप करें उस दिन आपसे कोई भी गलत काम नहीं हुआ हो। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप आपको सांसारिक दुनिया से दूर किसी ऐसे स्थान पर करना होता है जिसके 980 मीटर के दायरे में कोई और मनुष्य मौजूद ना हो।
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ऐसी कथा प्रचलित है की श्रीलंका में पिदुरुथालागला के पिदुरु पर्वत पर रहने वाले विशेष जंगली जनजाति के पूर्वजों को हनुमान जी ने यह मंत्र वरदान स्वरूप में दिया था। कहा जाता है की प्रभु श्री राम के चले जाने के बाद हनुमान जी ने विभिसन के राज में आने वाले जंगलों में शरण ले ली थी जहाँ के इस जनजाति ने उनकी सेवा की और उनसे प्रसन्न होकर उन्होंने उन्हें यह मंत्र वरदान के रूप में दिया और कहा की जब भी तुम्हें मेरे दर्शन प्राप्त करने हों, इस मंत्र का जाप करना मैं वायु की गति से चला आऊंगा। हालाँकि, इस मंत्र का कोई दुरुपयोग ना कर सके इस लिए उन्होंने कुछ शर्तें बनायीं जो हमने आपको ऊपर बताया।