चुकी परमात्मा हर जगह व्याप्त है, परमात्मा इस सृष्टि के कण-कण में है और मनुष्य उसी परम शक्ति यानी परमात्मा की पूजा करता है। परमात्मा की पूजा करने वाला हरेक इंसान चाहता है कि वो गुणवान बने, वह सहनशील बने, वह कर्मठ बने। इसी तरह हरेक इंसान चाहता है कि उसके द्वारा किया गया कार्य सिद्ध हो। इन सब चीजों की प्राप्ति के लिए इंसान को मूल मंत्र (Mool Mantra in Hindi) का जाप करना होता है।
मूल मंत्र | Mool Mantra in Hindi
इक ओंकार सतिनामु करता
पुरखु निरभउ निरवैरु
अकाल मूरति अजूनी
सैभं गुर प्रसादि
मूल मंत्र का अर्थ: परमात्मा एक है। उनका नाम सबसे सच्चा है। उनको किसी से कोई डर नहीं है। उनको किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। उनका कोई आकार कोई मूरत नहीं है। प्रभु की शक्ल काल रहित है। उनको किसी ने न तो जन्म दिया है और न ही किसी ने बनाया है, वो खुद प्रकाशित हुए है। गुरु की कृपा से परमात्मा हृदय में बसते है और गुरु की कृपा से परमात्मा की समझ एक मनुष्य में होती है।
मूल मंत्र का जाप प्रतिदिन करना होता है। इसका जाप दिन के किसी भी पहर किया जा सकता है लेकिन शाम के समय करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से पहले शारीरिक रूप से शुद्ध हो जाना होता है। इस मंत्र का जाप गुरु नानक देव के प्रतिमा के सामने करना होता है। इस मंत्र का जाप करते समय प्रणाम के मुद्रा में रहना होता है। इस मंत्र का जाप अपने इच्छा अनुसार पांच बार या सात बार करना होता है।
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इस मंत्र के प्रभाव मनुष्य गुणवान बनता है, उसके अंदर सहनशीलता आती है। इस मंत्र से व्यक्ति कर्मठ बनता है। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य को मनचाहा वरदान मिलता है। यह मंत्र मनुष्य को उसके जीवन में सफलता हासिल कराता है। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का हर कार्य सिद्ध होता है और मनुष्य बलवान बनता है।