श्री दुर्गा चालीसा । Shree Durga Chalisa
माँ दुर्गा को दुनिया की सबसे शक्तिशाली देवी के रूप में माना जाता है। संसार से अधर्म को मिटाने के लिए और धर्म की रक्षा करने के लिए माँ दुर्गा अवतरित हुई थी। अधिकतर इंसान माँ दुर्गा की पूजा अर्चना नवरात्री के समय पर ज्यादा करते है। कुछ लोगो का मानना है की नवरात्री में माँ दुर्गा की उपासना करने से बहुत जल्द माँ दुर्गा की कृपा बरसती है।
अगर आपके जीवन में आर्थिक या मानसिक परेशानी चल रही है या शत्रु परेशान कर रहे है तो आपको नियमित रूप से श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करने से बहुत जल्द आपके जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
श्री दुर्गा चालीसा इन हिंदी
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥
श्री दुर्गा चालीसा पाठ करने का तरीका
माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके स्वच्छ कपड़ें पहन लें। पूजा स्थल पर साफ आसन बिछा कर बैठ जाएं। उसके बाद पूजा स्थल में एक चौकी पर साफ लाल कपडा बिछा लें। फिर उस कपड़ें के ऊपर माँ दुर्गा की मूर्ति या फोटो रख लें। माता के सामने घी का दीपक और धूप बत्ती जला दें। माता का अभिषेक करने के बाद फूल, फल, मिठाई और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
उसके बाद ऊपर बताई गई माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करें। माँ दुर्गा चालीसा का पाठ समाप्त होने के बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ दुर्गा से अपने जीवन में आ रही परेशानी को दूर करने के साथ साथ अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करें। रोजाना श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने माँ दुर्गा बहुत जल्द प्रसन्न होती और आपके जीवन में आ रहे सभी कष्टों को दूर करके आपका जीवन सुखमय बनाती है।