मनुष्य को अपने जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए करना चाहिए कुछ ऐसा

श्री विष्णु मंत्र | Sri Vishnu Mantra lyrics in Hindi

हिन्दू धर्म के अनुसार इस धरती पर मनुष्य के जीवन काल को सौ वर्ष का माना गया है। इस सौ वर्ष के सम्पूर्ण जीवन काल को चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, सन्यास, वानप्रस्थ। प्रत्येक अवस्थाओं को पच्चीस-पच्चीस वर्ष का माना गया है। अगर मनुष्य अपने जीवन के प्रत्येक अवस्था में सुखी समृद्ध रहना चाहता है तो उसे इसके लिए श्री विष्णु के मंत्र का जाप करना पड़ेगा।

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श्री विष्णु मंत्र

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

श्री विष्णु मंत्र का अर्थ:

हे श्री विष्णु आपकी आकृति अतिशय शांत है, आप धीर क्षीर गंभीर हैं, आप शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं, आपके नाभि में कमल है, आप देवताओं के भी ईश्वर, आप संपूर्ण जगत के आधार हैं, आपने संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है, आप माता लक्ष्मीपति के पति है, हे संपूर्ण लोकों के स्वामी आपको प्रणाम।

इस मंत्र का जाप गुरुवार के दिन करना होता है। इस मंत्र का जाप सुबह सूर्योदय के बाद करना होता है। इस मंत्र का जाप करने से पहले नहा-धोकर पूरी तरह से शुद्ध हो जाना होता है। इस मंत्र का जाप भगवान विष्णु के प्रतिमा के सामने करना होता है। इस मंत्र का जाप करते समय नमस्कर के मुद्रा में रहना होता है।

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इस मंत्र के जाप शुरू करने से पहले भगवान विष्णु के सामने दीये जलाने होते है और साथ में पीले रंग के फूल भी चढ़ाने पड़ते है। इस मंत्र का जाप कम से कम तीन बार करना होता है। इस मंत्र का जाप लगातार एक साल करने के बाद इसका फल मिलना शुरू होता है। इस मंत्र के प्रभाव से जीवन की हरेक अवस्था में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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