ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र | Brahma Murari Tripurantkari Mantra in Hindi

इस सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा ने किया है। अपने शुरुआती काल से ही ये संसार तरह-तरफ की जीवों से भरी पड़ी है। यहाँ प्रत्येक जीव की अपनी एक खास पहचान है, एक अद्भुत विशिष्टता है। इस संसार में निवास करने वाले प्रत्येक जीव में मनुष्य सबसे अद्भुत और अनोखा है। अन्य जीव के मुकाबले मनुष्य में जोख़िम लेने की क्षमता सबसे कम है। इसी तरह इस संसार में मनुष्य ही वह जीव है जो सबसे अधिक समस्याओं से घिरा रहता है और वह उससे निकलना चाहता है। मनुष्य को समस्याओं से निजात पाने के लिए ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र (Brahma Murari Tripurantkari Mantra in Hindi) का जाप करना होता है।

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ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र | Brahma Murari Tripurantkari Mantra in Hindi

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु:
शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव
सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र का अर्थ: हे ब्रह्मा, हे विष्णु, हे शिव आप तीनों से ही इस सृष्टि पर सब कुछ चलती है। हे तीनों लोकों के स्वामी आप सूर्य, चंद्रमा, भूमि, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों को शांत करें।

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र का जाप प्रातः काल में सूर्योदय के पहले ब्रह्म मुहूर्त में करना होता है। इस मंत्र का जाप सप्ताह मात्र एक दिन करना होता है है। इस मंत्र का जाप बुधवार के दिन करना होता है। इस मंत्र का जाप करने से पहले शारीरिक रूप से शुद्ध हो जाना होता है। इस मंत्र के जाप के दौरान नमस्कार के मुद्रा में रहना होता है। इस मंत्र का जाप ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतिमा के सामने करना होता है।

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ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र के जाप के दौरान घी के दीये जलाने होते है। इस मंत्र का जाप कम से कम पांच बार ज़रूर करना होता है। इस मंत्र के जाप से जीवन में आ रही सारी समस्या दूर हो जाती है और समस्या का समाधान बड़ी आसानी से मिल जाता है। इस मंत्र के जाप के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में शांति स्थापित होती है और मनुष्य अपने जीवन के पथ पर आगे बढ़ता है।

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