ब्रह्मचारिणी देवी मंत्र हिंदी में । Brahmacharini Devi Mantra in Hindi

माता ब्रह्मचारिणी देवी जो माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक हैं, की पूजा नवरात्री के दूसरे दिन की जाती है। माँ दुर्गा ने अपने दूसरे स्वरूप में तप की देवी का रूप लिया है और उन्हें ही हम माता ब्रह्मचारिणी देवी के नाम से जानते हैं। उनके इस नाम में उपयुक्त ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या हैं। माता ब्रह्मचारिणी देवी ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था, उनके इसी कठोर तपस्या की वजह से उन्हें तप की देवी माना जाता है।

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ब्रह्मचारिणी देवी मंत्र हिंदी में । Brahmacharini Devi Mantra in Hindi

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

ब्रह्मचारिणी देवी मंत्र का विवरण :
माँ ब्रह्मचारिणी देवी का यह मंत्र उनके दिव्य स्वरूप की महिमा का बखान करता है। इसके माध्यम से कहा गया है की “हे माता, जिनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी दिव्य स्वरूप ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा को मैं नमन करता है, और उनसे विनती करता हूँ की मुझ पर अपनी कृपा बरसायें और मुझे आशीर्वाद दें।

शिव जी को पति रूप में पाने हेतु उनकी कठोर तपस्या के कारण उनका एक नाम तपश्चारिणी भी है। माना जाता है की उन्होंने अपनी इस तपस्या के दौरान पहले कई हजार वर्षों तक केवल जमीं पर गिरे बेल पत्रों का भोजन कर अपनी तपस्या जारी रखी, हालाँकि बाद में उन्होंने इन बेल पत्रों का बह त्याग कर दिया और उनके इसी सर्वस्व त्याग की वजह से उन्हें उनके एक और नाम अपर्णा के नाम से भी जानते हैं।

यह भी पढ़ें: हर पूजा या हवन में भगवान को भोग चढ़ाते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान यदि आप इस मंत्र का जाप करें तो ईश्वर आपके भोग को स्वीकार करते हैं और आपको उनकी कृपा प्राप्त होती है।

माँ ब्रह्मचारिणी देवी के इस मंत्र जाप से पूर्व उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करें। ऐसी मान्यता है की माता ब्रह्मचारिणी देवी को पिले रंग के पुष्प बेहद ही प्रिय हैं। उनकी पूजा के दिन पिले रंग के पुष्प उन्हें अर्पण करें, और साथ में अक्षत, रोली और चंदन लगाकर उनकी पूजा करें। कहते हैं की माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में केसरिया मिठाई, केला इत्यादि का भोग लगाना शुभ होता है। उनके इस मंत्र का जाप व्यक्ति के भीतर तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना लाता है, और व्यक्ति सन्मार्ग की राह पर चलता है।

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