हमारी हिन्दू सभ्यता हिन्दू संस्कृति में गुरु-शिष्य के पवित्र परंपरा को विशेष आदर के भाव से देखा जाता है। जो मनुष्य जितना ज्ञानी होता है उसे उतना ही गुरु से मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है। विद्या और ज्ञान की प्राप्ति के लिए हरेक शिष्य को एक न एक गुरु की आवश्यकता पड़ती है। गुरु ही सत्य की अनुभूति कराता है इसलिए गुरु मंत्र की जानकारी हर किसी के पास होनी चाहिए (Guru Mantra in Hindi)।
गुरु मंत्र | Guru Mantra in Hindi
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु
गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म
तस्मै श्री गुरुवे नमः:।।
गुरु मंत्र का अर्थ: गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महादेव है, गुरु ही साक्षात भगवान है, ऐसे परम् ज्ञानी श्री गुरु को मेरा प्रणाम है।
एक शिष्य को अपने गुरु के प्रति दृढ़ विश्वास होता है। शिष्य अपने गुरु की उपस्थिति में निश्चिंत रहता है, उसे किसी तरह का डर भय नहीं होता। गुरु शब्द दो वर्ण से बना है, इसमें ‘गु’ का अर्थ अन्धकार होता है और ‘रु’ का अर्थ प्रकाश होता है। गुरु अज्ञानता रूपी अन्धकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है।
गुरु असत्य से सत्य की ओर तथा दानवता से मानवता की ओर ले जाने का माध्यम है। मनुष्य के जीवन में गुरु भक्ति के मार्ग पर शिष्य का मार्गदर्शन करता है। गुरु वह सत्य है जो समय और स्थान के साथ परिवर्तित नहीं होता बल्कि हमेशा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करता रहता है। गुरु परम्परा की शुरुआत इस सृष्टि में मानव जाति के निर्माण के साथ ही हो गया था।
गुरु अपने शिष्य को सकारात्मक आरम्भ करना सिखाता है। जो शिष्य अपने गुरु द्वारा बनाए गए मार्ग को अपनाता है वह जीवन में हमेशा आगे बढ़ता है, उसे हर कदम पर नया जीवन का अनुभव होता है। ईश्वर और गुरु में कई गुण एक समान होते है। गुरु ज्ञान प्रदाता होता है।गुरु ईश्वर का साक्षात अनुभूति कराता है इसीलिए हरेक मनुष्य को गुरु मंत्र का पाठ करना चाहिए।
गुरु मंत्र का जाप प्रतिदिन करना होता है। प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय गुरु मंत्र का जाप करना होता है। इस गुरु मंत्र का जाप करते समय मनुष्य को पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाना चाहिए। फिर आँख बंद करके ध्यान करते हुए पांच बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस तरह गुरु मंत्र के जाप से आपको आनंद का एहसास होगा।