माँ ब्रह्मचारिणी को माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में जाना जाता है। उनके नाम के पीछे का अर्थ है जो तप का चारण करती हैं। इसके पीछे भी एक बड़ी सुंदर कहानी है। कहा जाता है की जब वो अपने पिछले जन्म में हिमालय के घर पुत्री के रूप में अवतरित हुई थीं तब उन्होंने शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए बड़ा ही घोर तप किया था। इसी वजह से उन्हें तप करने वाली अर्थात माँ ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
कहते हैं की जो भी माँ के इस स्वरूप की सच्चे मन से पूजा करता है उसे किसी भी कार्य में भय नहीं आता और वह निश्चित तौर पर अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है। माँ के इस स्वरूप की एक बड़ी महिमा मनाई जाती है, इसलिए आपको भी उनके इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र हिंदी में । Maa Brahmacharini Mantra in Hindi
दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र का विवरण :
माँ ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मन में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में जिस भी क्षेत्र में कार्य करना शुरू करता है उसे पूरी लगन के साथ पूर्ण करता है, उसके भीतर अपने किसी भी कार्य के प्रति एकाग्रता आती है। नवरात्र के दूसरे दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है।
माँ ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। जो भी इनकी पूजा पूरे भक्ति भाव से करता है उसके जीवन के सभी कार्य निश्चित तौर पर पूर्ण होते हैं और उसके किसी भी कार्य में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और उसे सफलता की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा जब भी करें तो हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और फिर मंत्र का जाप कर यह फूल उन्हें अर्पित करें।