नवग्रह शांति मंत्र हिंदी में । Navgrah shanti mantra in Hindi

हमारी कुंडली हमारे भाग्य और वर्तमान में होने वाली घटनाओं पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। कहते हैं की यदि कुंडली में नवग्रहों की दसा सही हो तो जीवन मंगलमय होता है। इस नवग्रह शांति मंत्र के पाठ से आप अपने नवग्रहों के दोषों को दूर कर सकते हैं और अपने जीवन में शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।

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नवग्रह शांति मंत्र हिंदी में । Navgrah shanti mantra in Hindi

ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशिहारः ।
विल्लेस्मै विद्यां दिहि नित्यं गुरुं शान्ताय धीमहि ।।
बुधं गुरुं च शुक्रं च शनिं च राहु केतवे ।
नवग्रहशांतये देवा ध्यायन्तां चण्ड्रमा च गुरुः।।

नवग्रह शांति मंत्र का विवरण :
ऐसी मान्यता है की जो भी इस मंत्र का नियमित जाप करता है उसके कुंडली में मौजूद नवग्रहों के सभी दोष दूर हो जाते हैं और मन में एक संतुष्टि का भाव उत्पन्न होता है। जो भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप पूरे ध्यान और भक्ति के साथ करता है उसे अपने भीतर एक आत्मिक शांति का अनुभव होता है। हालाँकि इस मंत्र का जाप करने के लिए किसी गुरु या पंडित से परामर्श लेना उचित होता है परन्तु हम आपको इसकी विधि बता रहे हैं।

इस मंत्र का जाप करने के लिए सबसे पहले आपको उचित विधि के सतह पूजा करनी होती है। पूजा के लिए इन सभी सामग्री को एकत्रित कर लें : धूप, घी या तेल का दीपक, आसन, कलश, रोली, अक्षता, पुष्प, नारियल, पंचामृत, पुष्पमाला, धातु कलश। अब पूजा आरंभ करने से पूर्व अपने घर के पूजा कक्ष में एक शुद्ध और शांतिपूर्वक वातावरण तैयार करें और सभी सामग्री को इकट्ठा करें।

इसके बाद आप अपना आसान ग्रहण करें। फिर पूजा कलश को तैयार करें और उसमें पानी, गंगाजल या तुलसी के पत्ते, अक्षता, रोली, चावल, फूल, नारियल आदि डालें। नवग्रह शांति मंत्र का जाप करने से पहले हर पूजा की भांति सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, इसके लिए आप उनके मूल मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का पाठ कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: अगर आपकी भी शादी में किन्हीं अवांछित कारणों से हो रही है देरी तो करें इस मंत्र का जाप, विवाह में आ रही सभी बाधाएं हो जाएंगी दूर। साथ ही इस प्रभावशाली मंत्र के पाठ से मिलता है एक अच्छे जीवनसाथी का साथ।

अब अपने कुल देवता की पूजा करें और उसके बाद नवग्रह शांति मंत्र का जाप करें। आपको इस मंत्र को एक माला यानी 108 बार जप करना है। मंत्र का जप पूर्ण होने पर अपने परमेश्वर को नमन करें और फिर धातु कलश का आरती उतारें। इसके बाद पूजा सामग्री को प्रदक्षिणा करें और फिर उसे विधिवत् विसर्जन करें।

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