वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग । Vaidyanath Jyotirlinga

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग । Vaidyanath Jyotirlinga

भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी है। भारत के झारखंड राज्य के देवघर में वैद्यनाथ मंदिर में शिव भगवान का 9 वां ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ भगवान के रूप में विराजमान है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह भी है की इस मंदिर के शीर्ष पर त्रिशूल की जगह पर पंचशूल स्थापित है।

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ऐसा माना जाता है की पंचशूल स्थापित होने की वजह से किसी भी प्रकार प्राकृतिक आपदा इस मंदिर को नुक्सान नहीं पहुँचा सकती है। पंचशूल को दुनिया की सबसे शक्तिशाली या अजय शक्ति के रूप में माना जाता है, यह पंचशूल सुरक्षा कवच की तरह मंदिर की रक्षा करता है। पंचशूल की शक्ति के बारे में जानने के बाद लंकापति रावण ने अपनी लंका के चारो तरफ पंचशूल लगवाया था।

पंचशूल की ताकत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है की भगवान राम भी पंचशूल को भेद नहीं सकते है। फिर लंका में लगे हुए पंचशूल को भेदने की जानकारी रावण के भाई विभीषण ने भगवान राम को दी थी। जिसके बाद भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई की थी। रावण को पंचशूल की विद्या का ज्ञान राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य ने दी थी।

Vaidyanath Jyotirlinga

प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के पावन पर्व से दो दिन पहले पंचशूल को मंदिर के शीर्ष से उतार लिया जाता है। पंचशूल की साफ सफाई करने के बाद विशेष पूजा की जाती है। हर साल लाखों श्रद्धालु पंचशूल के दर्शन करने पहुँचते है। विशेष पूजा के बाद पंचशूल को दोबारा मंदिर के शीर्ष पर स्थापित कर दिया जाता है।

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सावन के महीने में लाखो भक्त बाबा को जल चढाने पहुँचते है। ऐसा माना जाता है की जो भी इंसान सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से भगवान वैद्यनाथ के दर्शन करता है उस इंसान के जीवन से सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते है।

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